ये दुनिया बहुत छोटी है हिंदी कविता ~ आशुतोष शुक्ला

यह दुनिया बहुत छोटी है हम मिलेंगे जरूर

कभी सुदूर किसी हिल स्टेशन के बस स्टेशन पर

कभी ठिठुरते हुए किसी पहाड़ी पर कैंप में

या फिर किसी बड़े शहर के किसी मेट्रो में तुम्हारे सामने वाली सीट पर

या फिर किसी फ्लाइट में हम देखेंगे जरूर यह दुनिया बहुत छोटी है हम मिलेंगे जरूर

 

कभी किसी अनजान शहर में किसी गली में

या किसी नुक्कड़ पर खड़े चाय पीते पीते

या तुम्हारे पसंद की वह पहाड़न चंद बलिया लेते

या फिर किसी अस्पताल में खांसते खांसते हम दिखेंगे जरूर

यह दुनिया बहुत छोटी है हम मिलेंगे जरूर

 

हम मिले तो तुम पलके ना झुका लेना

हड़बड़ाहट में पीछे मत खींच लेना खुद को

मुझसे मिलकर मुझे ना पहचानने का पूरा हक है तुमको

मेरे सामने किसी अपने से लिपटने का पूरा हक है तुमको

हां जाते जाते मुस्कुराना जरूर

ये दुनिया बहुत छोटी है हम मिलेंगे जरूर

 

या फिर देखूं मैं तुमको कभी किसी रोज

तुम दौड़ कर मेरे पास आ सकती हो तुम्हारी मर्जी

तुम मुझे पहचान सकती हो तुम्हारी मर्जी

तुम्हारी मर्जी तुम धड़ल्ले से पूछो मुझसे

कैसा हूं मैं

आजकल क्या कर रहा हूं

काफी दुबला हो गया हूं

और मैं

तुम्हारी मर्जी के मुताबिक थोड़ा सा मुस्कुरा कर

थोड़ी झूठी मुस्कान अपने चेहरे पर सजा कर

हां सब बढ़िया बोल दूंगा जैसा की तुमको सुनना पसंद भी आयेगा

 

मगर ज्यादा वक्त ना बिताना साथ में

कोई मोहब्बत मत मिलाना किसी बात में

तुमको अपने उन अच्छे दिनों की याद दिलाने का कोई हक नहीं

मुझे वापस से सताने का कोई हक नहीं

तुम्हारी बातें सुनकर मैं हंस लूंगा जरूर

यह दुनिया बहुत छोटी है हम मिलेंगे जरूर

– आशुतोष शुक्ला

 

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