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नींद में भी उठती हैं आवाजें, हिंदी कविता – डॉ. पल्लवी सिंह ‘ अनुमेहा ‘
सिक्के की तरह उछाला गया, हिंदी कविता – राधेश विकास
कुतर जाता चूहा तो अच्छा, हिंदी कविता – राधेश विकास
मुक्त हुई रूह, हिंदी कविता – सोनिका शुक्ला
है न, अजीब सी ये गलतफहमी, हिंदी कविता – जिज्ञासा
एक ही चेहरे में छुपे चेहरे बहुत हैं, हिंदी कविता – आश हम्द
हिंदी है हमारी शान, हिंदी कविता – मनोज कौशल
हिंदी का भी दिन, हिंदी कविता – मोहन तिवारी, मुंबई
जौन एलिया शायरी सिरीज 4th – लेखनशाला
बेबाकपना भी बनी रहे हिंदी कविता – मोहन तिवारी
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