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घबरा गए थे प्रान कविता – शिव बहादुर सिंह भदौरिया
कहानी कफ़न – मुंशी प्रेमचंद
काश वो डॉक्टर होता कविता – प्रतीक झा
जिंदगी से बड़ी कोई सजा ही नहीं ग़ज़ल – कृष्ण बिहारी ‘नूर’
इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं ग़ज़ल – तहज़ीब ह़ाफी
पाले हैं सांप भी ग़ज़ल – जुनैद मिर्ज़ा
किताबें कविता – गुलज़ार साहब
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है – कुमार विश्वास
पिता के न होने का दर्द, उनकी कमियां बताती ये कुछ पंक्तियां।
रिश्ते में – अजीत बहादुर बनारस
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