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मैं आज भी उसका रविवार तो हूँ हिंदी कविता – राधेश विकास
हर ओर बस उजाला छाए हिंदी कविता – शिवेश पति त्रिपाठी , बनारस
युद्ध छोड़ कर जीवन जीना, इस से बेहतर तो मरना है, हिंदी कविता – शुभम् निगम
मैं कविता नई बनाता हूं – अमित पासवान
सारे दौलत पर ध्यान देते हैं हिंदी ग़ज़ल – अभिषेक सिंह ‘ अंकुर ‘
बोलो फिर कैसे जिया जाए, हिंदी कविता – गरिमा मिश्रा
पूर्णिमा की रात हिंदी कविता – डॉ. शरीफ़ ख़ान ( राजस्थान )
प्रतिशोध हिंदी कविता – मोहन तिवारी
बस यही कहती हैं हिंदी कविता – मोहन तिवारी
नींद में भी उठती हैं आवाजें, हिंदी कविता – डॉ. पल्लवी सिंह ‘ अनुमेहा ‘
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