युवा साहित्यकार शैलेश मिश्र की प्रसिद्ध पत्तियां

1-

‘मर्यादित’ या ‘अमर्यादित’
होना,
हमारे ‘विचारों’ पर
निर्भर करता है।
और विचार,
‘विवेक एवं संस्कारों’
की देन हैं।

 

2 –

मेरे हारने का कारण

“स्वयं मैं”
हूँ,
‘परिस्थितियाँ’
तो बस
एक छलावा हैं।

– शैलेश मिश्र

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