संघर्षों से बाधा हारी कविता – किशनू झा

संघर्षों से बाधा हारी,

हर ली पीड़ा प्रयासों ने।

महासमर में साहस जीता,

विकट वर्ष बदले मासों ने।

उम्मीदें दिल में लेकर के,

बुरा वक्त सब बीत रहा है,

धैर्यवान बन धीरे-धीरे,

देखो भारत जीत रहा है।

 

 

उच्चारण कर ॐ, ॐ का

भेदकर सीना व्योम का।

चांद पर गाड़ा तिरंगा,

पान कर संकल्प सोम का।

दुनिया के आकाश में भारत,

सूरज सा प्रतीत रहा है।

धैर्यवान बन धीरे-धीरे,

देखो भारत जीत रहा है।

 

 

 

गीता के स्वर में गुंजित है,

उपनिषदों की भाषा भारत।

प्राणों का दाता वैरी को,

अमन चैन की आशा भारत।

दुनिया के अधरों पर भारत,

शांति का संगीत रहा है।

धैर्यवान बन धीरे-धीरे,

देखो भारत जीत रहा है।

 – किशनू झा 

 

 

 

 

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