प्यार में रंगा था हिंदी कविता – अंजली ठाकुर

दो दिलों का ये बंधन, प्यार में रंगा था,

लड़का लड़की थे अलग जात, समाज को ये खटकता था।

 

दिलों की जुबां में, कोई भेदभाव नहीं था,

पर समाज की आँखों में, ये सब कुछ सही नहीं था।

 

सपनों की दुनिया में, वो खो जाते थे,

प्यार के नगमे, रोज वो गाते थे।

 

परिवार और समाज का, दबाव बढ़ता गया,

उनका प्यारा रिश्ता, दर्द में सिमटता गया।

 

लड़का लड़की ने, बहुत कोशिशें कीं,

पर समाज की दीवारें, इतनी ऊँची थीं।

 

आखिरकार, उन्हें बिछड़ना पड़ा,

प्यार में रहकर भी, दर्द से गुजरना पड़ा।

 

दोनों के दिल, अब भी धड़कते हैं,

पर अलग-अलग राहों पर, अब चलते हैं।

 

यादों में बसी, वो मीठी बातें,

उनकी आँखों में अब भी, हैं वो प्यारी रातें।

 

पर सचाई यही है, उन्हें अलग होना पड़ा,

प्यार में हारकर भी, इज्जत की खातिर झुकना पड़ा।

अंजली ठाकुर

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