पाले हैं सांप भी ग़ज़ल – जुनैद मिर्ज़ा

पाले हैं हमने दोस्त भी पाले हैं सांप भी,

देते हैं साथ कुछ यहां रहते खिलाफ़ भी।

 

दुनिया को है समझना तो ऊपर से देखिए,

गहराई में रहेंगे तो डूबेंगे आप भी।

 

बच्चे डरा रहे मुझे नादान हैं बहोत,

अपने पे आ गए तो ये बोलेंगे बाप भी।

 

मिलता हूं मैं अगर गले तो इतना जानिए,

लेता हूं हालचाल भी गर्दन का नाप भी।

 

जिस दिन भी इनका सामना होगा जुनेद से,

ये सब करेंगे देखना विधवा विलाप भी।

    – जुनैद मिर्ज़ा

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