नयी पहचान मिलेगी नया नाम मिलेगा कविता – आश हम्द, पटना

नयी पहचान मिलेगी नया नाम मिलेगा,

यूं ही नहीं मंजिल -ए- शान मिलेगा।

 

कभी रुकना नहीं तुम कभी थकना नहीं,

फिर ज़मीन ही नहीं आसमान मिलेगा।

 

ख़ुद में झांक ले ताकत को भी आजमा ले,

ख़ुद को जीत कर ही तुझे तेरा नाम मिलेगा।

 

अपने एहसासों के काग़ज़ उकेरो तो कभी,

तेरे लफ़्ज़ों को तभी तीर और कमान मिलेगा।

 

नज़रें उठा कर तो देखो जहान और भी,

खुद को देख कर तो महज थकान मिलेगा।

 

पत्थर उछाल कर फूलों की उम्मीद न कर,

सम्मान देकर ही तुझको भी सम्मान मिलेगा।

 

हर गली कूचे में ढूंढा है तुझको मैंने ज़िन्दगी,

कभी तो बंजारा दिल को भी मकान मिलेगा।

 

एक बार फिर से मिले तो बहला लेंगे खुद को,

कहीं न कहीं तो खिलौनों का वो बाजार मिलेगा।।

– आश हम्द, पटना

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आश हम्द

लेखन शाला से जुड़कर मेरी लेखनी एक नया आसमान एक नयी उड़ान मिली है, धन्यवाद लेखन शाला संस्था और अभय सर