लक्ष्य नजर आता है कविता – धीरेन्द्र कुमार मौर्य

मैं जहां भी देखूं मेरा लक्ष्य नजर आता है,

तू जहां भी देखे खामियां नजर आता है।

 

मेरी नज़र में सपने हैं, तेरी नज़र में शिकायत,

मेरी राह में उजाला है, तेरी राह में अंधकार है।

 

मैं जहां भी जाऊं, मुझे अपनापन नजर आता है,

तू जहां भी जाए, तुझे परायापन नजर आता है।

 

मेरी जिंदगी में आशा है, तेरी जिंदगी में निराशा।

मेरी राह में खुशियां हैं, तेरी राह में गम है।

 

मेरी आँखों में भविष्य है, तेरी आँखों में भूतकाल,

मेरी राह में संघर्ष है, तेरी राह में हार है।

 

मैं जहां भी देखूं, मुझे मौके नजर आते हैं,

तू जहां भी देखे, तुझे मुश्किलें नजर आती हैं।

 

मेरी जिंदगी में जज्बा है, तेरी जिंदगी में निराशा,

मेरी राह में ख्वाब हैं, तेरी राह में पछतावा है।                                                                                                                         – धीरेन्द्र कुमार मौर्य

 

इसे भी पढ़ें …

https://www.lekhanshala.com/top-7-hindi-poems-by-varsha-saxena/

 

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments