हम पढ़ते भी
अपने लिए हैं,
और लिखते भी
अपने लिए हैं।
वो बात अलग है
कि हमारा लिखा,
किसी और के
काम आ जाए।
मैं पढ़ना और लिखना
दोनों ऐसे किया हूं,
जिसमें मन में हो
रहीं उथल- पुथल थोड़ा शांत हो जाती है।
– अजीत बहादुर
हम पढ़ते भी
अपने लिए हैं,
और लिखते भी
अपने लिए हैं।
वो बात अलग है
कि हमारा लिखा,
किसी और के
काम आ जाए।
मैं पढ़ना और लिखना
दोनों ऐसे किया हूं,
जिसमें मन में हो
रहीं उथल- पुथल थोड़ा शांत हो जाती है।
– अजीत बहादुर