खुद से करने हैं कुछ काम मुझे ग़ज़ल ~ तारा इक़बाल

ख़ुद से करने हैं कुछ सवाल मुझे,

मेरी तस्वीर से निकाल मुझे।

 

अब भी रखते हैं पुर – मलाल मुझे,

तेरी निस्बत के माहों शाल मुझे।

 

सर्द मौसम पसंद था उस को,

उसने कोहरे की भेजी शाल मुझे।

 

कोई ताबीर कर रिहाई की,

ग़मे – फ़र्कत से अब निकाल मुझे,

 

अश्क सदके में बांट देती हूं,

हिज़्र रखता है माला – माल मुझे।

 – तारा इक़बाल

 

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