कहानी: खोया हुआ शोध-निर्देशक, प्रतीक झा प्रयागराज

कहानी: खोया हुआ शोध-निर्देशक

हर दिन की तरह, शोधार्थी विश्वविद्यालय पहुँचते हैं, लेकिन उनके शोध-निर्देशक नहीं आते। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहता है। शोधार्थियों ने अपने शोध-निर्देशक से संपर्क करने की बहुत कोशिश की, परन्तु वे सफल नहीं हो पाते। उनकी चिंता बढ़ती जाती है। वे बार-बार विश्वविद्यालय प्रशासन से पूछताछ करते हैं, पर कोई ठोस जवाब नहीं मिलता। प्रशासन का केवल एक ही उत्तर होता है कि उनके शोध-निर्देशक किसी महत्त्वपूर्ण सरकारी कार्य से बाहर गए हैं, पर वे कब विश्वविद्यालय लौटेंगे, इसकी कोई जानकारी नहीं है।
शोधार्थियों की चिंता और बढ़ जाती है। अब उनके शोध का क्या होगा, हस्ताक्षर कौन करेगा? वे अपने शोध-निर्देशक से बहुत प्रेम करते थे और उनका अत्यधिक सम्मान भी करते थे। उन्होंने अपने शोध-निर्देशक को बहुत कठिन परिश्रम और चयन के बाद पाया था। वह प्रतिभाशाली और लोकप्रिय होने के साथ ही उनके पढ़ाने और मार्गदर्शन करने का प्रभाव अद्वितीय था।
विश्वविद्यालय ने कुछ समय के बाद उनके लिए नए शोध-निर्देशक की व्यवस्था कर दी, परन्तु शोधार्थियों का मन पुराने शोध-निर्देशक से हट नहीं पाता। वे उन्हें बहुत याद करते थे और उनके लौटने की आस लगाए बैठे थे।
तीन साल बीत जाते हैं। अचानक एक दिन दुनिया भर के समाचार पत्रों और टेलीविजन पर एक नाम गूँजने लगता है—उनके खोए हुए शोध-निर्देशक का नाम। शोधार्थी हैरान रह जाते हैं जब उन्हें पता चलता है कि उनके शोध-निर्देशक ने मानव इतिहास की सबसे जटिल, तनावपूर्ण और विशाल परियोजना का निर्देशन किया है। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐसी क्रांतिकारी खोज को जन्म दिया, जिससे विश्व का भविष्य और मानवता का अस्तित्व निर्भर करता है।
शोधार्थियों के दिल गर्व और खुशी से भर जाते हैं। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उनका शोध-निर्देशक ऐसा महान कार्य कर रहे थे। अब उनके पास अपने शोध-निर्देशक की जो भी स्मृतियाँ थीं, वह उनके लिए अनमोल हो चुकी थीं। वे उन यादों को संजोए रखते हैं, गर्व के साथ कि उन्होंने एक ऐसे महान व्यक्तित्व के साथ कुछ समय बिताया था, जो इतिहास में हमेशा के लिए याद किया जाएगा।
शोधार्थियों के दिन बदल चुके थे। अब उन्हें आदर और सम्मान की नजर से देखा जाता है, क्योंकि वे उनके शिष्य थे, जिन्होंने दुनिया को अपनी महान प्रतिभा और कार्य से अवगत कराया और उस समय मानवता को संकटों से बचाया।

– प्रतीक झा
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज

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Aprajita shankrit

Awsum,with full of emotion,s story created by pratik Jha ,it,s seem,s to b real and touching too