खेत उदास है कविता – ओमप्रकाश वाल्मीकि

खेत उदास है

चिड़िया उदास है —

जंगल के खालीपन पर

बच्चे उदास हैं —

भव्य अट्टालिकाओं के

खिड़की-दरवाज़ों में कील की तरह

ठुकी चिड़िया की उदासी पर

 

खेत उदास हैं —

भरपूर फ़सल के बाद भी

सिर पर तसला रखे हरिया

चढ़-उतर रहा है एक-एक सीढ़ी

ऊँची उठती दीवार पर

 

लड़की उदास है —

कब तक छिपाकर रखेगी जन्मतिथि

 

किराये के हाथ

लिख रहे हैं दीवारों पर

‘उदास होना

भारतीयता के खिलाफ़ है !’

– ओमप्रकाश वाल्मीकि

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