इंद्रधनुष हिंदी कविता – राज कुमार कौंडल

इंद्रधनुष

इंद्रधनुष आसमान में निकले लगे तब प्यारा,

प्यारा जग वर्षा में जब नहाया होता सारा।

 

इंद्रधनुष सतरंगी रंग आसमान में बिखेरता प्यारा,

सब बच्चों के मन को भाए इसका सुंदर नज़ारा।

 

इंद्रधनुष जमीन से आसमान तक लगे प्यारा,

प्रकाश और वर्षा की बूदों से बनता खूब नज़ारा।

 

इंद्रधनुष लगे मनमोहक, अति सुंदर, प्यारा,

हर्षित पुलकित हो उठा जग देख इसे सारा।

 

इंद्रधनुष के सात रंगों का मेल अद्भुत न्यारा,

अपने विशाल आकार से नापे ये नभ सारा।

 

सारी प्रकृति नहा उठे जब निकले इंद्रधनुष प्यारा,

वर्षा की नन्ही बूंदों से नवजीवन पाए जग सारा।

 

सात रंग मिलकर संदेश देते बहुत ही प्यारा,

मिलकर रहने से ही जग का सुंदर रूप बने प्यारा।

 

सात रंग मिलकर संदेश देते बहुत ही प्यारा,

मिलकर रहने से एकता में बल लगे जग में न्यारा।

 

सात रंग जीवन में भी भरते रंग बड़ा ही प्यारा,

बिन रंगों के सबका जीवन लगे फिर नीरस सारा।

– राज कुमार कौंडल

( हि०प्र० )

 

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