1 – पापा बदल गए हो क्या ?
मैं नहीं खेलूंगी खिलौनों के साथ, पैसे नहीं होंगे
बहुत काम करते हैं पापा मेरे, थक गए होंगे।
आज़ गए हैं बाज़ार पापा, शायद कुछ काम होगा
मैं खूब पढूंगी मेहनत कर,मेरे पापा का नाम होगा।
कितनी सारी परेशानियां हैं, मेरे पापा के हिस्से में
मुझ जैसी बेटी भी जुड़ गई, अब उनकी किस्से में।
अब मैं बड़ी भी हो गई हूं, बहुत तनाव होता होगा
कष्ट, व्यथा, वेदना , पीड़ा ,जाने क्या होता होगा ?
कल मेरी शादी है, मेरे पापा, बहुत याद करेंगे
कुछ भी हो जाए चाहे, मेरे पापा मुझे न भूलेंगे।
मैं तो खुश थी बहुत, कि, मेरे पापा साथ खड़े होंगे
अपने पोते को एक झलक देखने,नंगे पैर चले होंगे।
पापा बहुत पीड़ा है इस घर में,एक बार आ जाओ न
बचपन में तो पूरी की थी जिद्द मेरी,फिर कर जाओ न।
आपने सबकुछ दिया था मुझे उस अनजानी दुनिया में
आज़ जरूरत है आपकी, एक बार गले लगाओ न।
आप पहले वाले पापा नहीं रहे, कुछ हुआ है क्या?
अब, आप भी मुझे भूल गए, बदल गए हो क्या?
2 – भगवान् जाने
एक दिन, एक पल में मिलने वाली लड़की दोस्त हो गई,
नौ महीने अपने पेट में पालने वाली मां कौन है ?,
भगवान् जाने।
एक दिन के दिखावे , सजावे को तुम शादी बोलते हो,
जिंदगी भर उस कर्ज़ को चुकाने वाला इंसान कौन है?
भगवान् जाने।
मॉर्निंग, नून, इवनिंग, नाईट को तुम संस्कार बोलते हो,
प्रणाम, नमस्कार, नमस्ते वो चरणस्पर्श वाला कौन है?
भगवान् जाने।
हर पल हंसने, झुकाने वाले को तुम समाज कहते हो,
सताना, भड़काना वो इनका लेखाकार कौन है?
भगवान् जाने।
कुछ भटकते रिश्तों को चुनना, तुम परिवार कहते हो,
मुसीबतों को सह, साथ निभाने वाला इंसान कौन है?
भगवान् जाने।
तुम्हारा इश्क़, तुम्हारा प्यार , तुम्हारी जां, तुम्हारा संसार है,
पर, तुम्हारा इंतजार करने वाला वो इन्तज़ार कौन है ?
भगवान् जाने!
चंद लोग बुला, विदा कर देने को तुम विवाह कहते हो,
जिन्दगी भर उस कर्ज़ को चुकाने वाला इंसान कौन है ?
भगवान् जाने।
बर्गर, चाउमीन, मोमो, वालों को तुम पालनहार बोलते हो,
मेहनत कर , फसल उगाने वाला वो, किसान कौन है ?
भगवान् जाने।
3 – मम्मी खाना क्या बनाएंगी
रंगों का त्योहार है पर, खुशियां भी अपार हैं
खिलखिलाते चेहरे जिसमें ,प्यारी मुस्कान है।
ये खुशियां कुछ पलों में ही यूं ढल जाएंगी
जब बच्चे पूछेंगे, मम्मी खाना क्या बनाएंगी ?
कहीं सबकुछ , बस मेरे घर ही इंतज़ार होगा
वो खरीदेंगे, खाएंगे, गर कुछ देंगे अहसान होगा।
लाल, हरे, नीले, पीले, रंगों का भरमार होगा
उनके यहां होगी होली, मेरे यहां बस इंतज़ार होगा।
रंग -बिरंगे उनके घर, वहां महकती पूड़ी, पकवान
घर तो यहां भी है, पर होगा, हे भगवान्! हे भगवान्!
बच्चे तो बच्चे हैं, उन्हें क्या पता अच्छा – बुरा इंसान
हम तो उनके हैं, जो देगा वही इंसान, वही भगवान्।
कोई बचाएगा उनको, कोई करेगा बस खिलवाड़
कुछ के कदमों में होंगे कांटे, कुछ के मर्यादा पार।
ओह, अच्छा, कल तो कुछ प्रेमी होंगे, न सुक्खू
सिंदूर बहाने गुलाल लगा, वो करेंगे मर्यादा पार।
4 – वापस तो आऊंगा
मैं इस घर का बेटा हूं, मैं फ़ौज में जाऊंगा,
सीना तान शरहद पर, वैरी से लड़ जाऊंगा।
मैं जब निकलूंगा घर से, वो भी तो जाएंगे,
मम्मी – पापा परिवार, स्टेशन छोड़ आएंगे।
मैं सबके पैर छू, अपनी सीट पर बैठ जाऊंगा,
देखते ही देखते, मंजिल तक पहुंच जाऊंगा।
वो दिन कौन सा है ?, जब बदन पर वर्दी होगी,
लक्ष्य भेदती मेरी आंखें, वैरियों पर टिकी होंगी।
मैं जी जान से , उन वैरियोँ का सामना करूंगा,
आखिरी सांस रुकने तक, मैं भी नहीं रुकूंगा।
क्या होगा मेरे साथ, मैं, कहां तक जाऊंगा?
जिंदा या तिरंगे से लिपटा, वापस तो आऊंगा।
5 – कैसे रहूंगा मैं
अभी तो काट लेटा हूं तेरी यादें लोगों संग,
तेरी इंतज़ार में हर पल मर रहा हूं मै।
डरता हूं कहीं दूर न हो जाए मुझसे तू,
गर हो गई दूर, सच में, तो कैसे रहूंगा मैं?
जब भी देखता कोई वीडियो, कुछ पढ़ता हूं,
आंखो में आंसू बस दिल में डर सा होता है।
सोचा ही नहीं कि,जीना पड़ेगा बिन तुम्हारे,
गर ये डर, सच हो गया तो कैसे रहूंगा मै ?
नहीं मालूम, कैसा होगा आने वाला कल मेरा,
पर हां, तुम्हारे बिन ज़रूर अंधेरा सा होगा।
तुम्हारे, अपनों के लिए ही तो पढ़ता हूं मैं,
गर, तुम न मिली मुझे, तो कैसे रहूंगा मै?
मेरे जीवन में तमाम चीज़ें नहीं, चंद खुशियां हैं,
तुम्हारे बिन, शायद वो भी, अधूरे से हो जाएंगे।
हां सफ़ल होने पर, कोई मिल जाएगा मुझे,
गर तुम न मिली मुझे, तो कैसे रहूंगा मैं ?
मुझे नहीं पता कि ,कौन, क्या चाहता है यहां ?
बस, दोनों की खुशियों के लिए मान जाएंगे वो।
माना,प्रेम विवाह भरोसेमंद न हो, उनके लिए,
गर अरेंज मे भी, खुशी न मिली तो कैसे रहूंगा मै ?
नहीं पता कि, कौन क्या सोचेगा तुम्हारे बारे में ?
पर, यहां के सभी लोगों का सहारा भी तुम्हीं हो ।
मुझे बेशक नहीं पता कि, खुश रखूंगा या नहीं,
गर, तुम्हारे हांथ, उंगली छोड़े, तो कैसे रहूंगा मैं?
मैं वो झूठे, सड़े से वायदे नहीं कर पाऊंगा तुमसे,
पर, तुमको खुश रखने वाली बात, मालूम है मुझे।
सर्तें, कैसी भी आएं इस जीवन में, लड़ लूंगा मैं,
सोचा ही नहीं अकेला रहना, तो कैसे रहूंगा मैं?
सुनो, कमियां, होती हैं, हैं और होंगी भी तमाम
मैं उन सभी कमियों को सुधारना, जानता हूं।
मैं गलतियां करूंगा, उन्हें सुधारूंगा भी मैं ही,
इन बकवासों को न सुनी वो, तो कैसे रहूंगा मैं?
अच्छी बीवी, अच्छे लोग, तमाम पैसे भी मिलेंगे,
मैं आऊंगा जब इस घर, तमाम चेहरे भी खिलेंगे।
शायद, मुझे खुश रख ले, घर भी संभाल ले वो,
गर, मेरी बात ही न मानी वो,तो कैसे रहूंगा मैं?
ज़रूरी नहीं कि, उनकी पसंद मुझे खुशियाँ ही दें,
बड़ो की पसंददीदा खेत भी, बंजर हो जाती हैं।
तुम, बेशक गलत होगी, उनकी देखी नज़रों में,
अब नज़रे हीं गलत साबित हों, तो कैसे रहूंगा मैं?