ग़ज़लें – राहत इंदौरी

सूरज, सितारे चाँद मेरे साथ में रहे,

जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे।

 

साँसों की तरह साथ रहे सारी ज़िंदगी,

तुम ख़्वाब से गए तो ख़्यालात में रहे।

 

हर बूँद तीर बन के उतरती है रूह में,

तन्हा मेरे तरह कोई बरसात में रहे।

 

हर रंग हर मिज़ाज में पाया है आपको,

मौसम तमाम आपकी ख़िदमत में रहे।

 

शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम,

आँधी से कोई कह दे की औक़ात में रहे।

 

दिल बुरी तरह से धड़कता रहा,

वो बराबर मुझे ही तकता रहा।

 

रोशनी सारी रात कम ना हुई,

तारा पलकों पे इक चमकता रहा।

 

छू गया जब कभी ख़याल तेरा,

दिल मेरा देर तक धड़कता रहा।

 

कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में,

और घर देर तक महकता रहा।

 

उसके दिल में तो कोई मैल न था,

मैं ख़ुदा जाने क्यूँ झिझकता रहा।

 

मीर को पढ़ते पढ़ते सोया था,

रात भर नींद में सिसकता रहा ।

 

दिए बुझे हैं मगर दूर तक उजाला है,

ये आप आए हैं या दिन निकलने वाला है।

 

ख़्याल में भी तेरा अक़्स देखने के बाद,

जो शख़्स होश गंवा दे वो दोश वाला है।

 

जवाब देने के अन्दाज़ भी निराले हैं,

सलाम करने का अन्दाज़ भी निराला है।

 

सुनहरी धूप है सदक़ा तेरे तबस्सुम का,

ये चाँदनी तेरी परछाईं का उजाला है।

 

है तेरे पैरों की आहट ज़मीन की गर्दिश,

ये आसमां तेरी अंगड़ाई का हवाला है।

 

क्या खरीदोगे ये बाज़ार बहुत महंगा है,

प्यार की ज़िद न करो प्यार बहुत महंगा है।

 

चाहने वालों की एक भीड़ लगी रहती है,

आज कल आपका दीदार बहुत महंगा है।

 

इश्क़ में वादा निभाना कोई आसान नहीं,

करके पछताओगे इक़रार बहुत महंगा है।

 

आज तक तुमने खिलौने ही ख़रीदे होंगे,

दिल है ये दिल मेरे सरकार बहुत महंगा है।

 

प्यार का रिश्ता कितना गहरा लगता है,

हर चेहरा अब तेरा चेहरा लगता है।

 

तुमने हाथ रखा था मेरी आंखों पर,

उस दिन से हर ख़्वाब सुनहरा लगता है।

 

उस तक आसानी से पहुंचना मुश्किल है,

चाँद के दर पे रात का पहरा लगता है।

 

जब से तुम परदेस गए हो बस्ती में,

चारों तरफ़ सहरा ही सहरा लगता है।

   – राहत इंदौरी 

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