दुनिया अनमोल हिंदी कविता – उत्तम कुमार तिवारी ‘ उत्तम ‘

” दुनियाँ अनमोल “

ज्ञानी कहते दुनियाँ गोल,
हम कहते दुनियाँ अनमोल।
यहां तरह – तरह की मिट्टी है,
यह कहता मेरा भूगोल।

कहीं रेत है कहीं है दोमट,
कहीं बलूइ कहीं जलोढ़।
कहीं है काली कहीं है पीली,
ये मिट्टी है अनमोल ।

कहीं पार्श्व है कहीं लाल है,
कहीं मरू कहीं नमकीन।
कहीं पीट है कहीं है चिकनी,
ये दुनियाँ की मिट्टी अनमोल ।

तरह – तरह के जीवों से,
भरी पड़ी है दुनियाँ सारी।
जल चर थल चर नभ चर से
सजी हुई दुनियाँ अनमोल ।

नदियां बहती लेकर लहरों को,
सागर की लहरों का शोर।
तरह – तरह के फल फूलों से,
श्रृंगार हुआ धरती का अनमोल ।

तरह  – तरह की भाषा है,
तरह  – तरह के रहते लोग।
सबके अपने धर्म अलग,
पुूजा करते सभी लोग।

– उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम “

 

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