दिल्ली अब धुवां धुवां है
देश का दिल दिल्ली,
शहर अब धुवां – धुवां है।
वहां की हवा बिल्कुल,
भी नहीं खुशनुमा है।
दिल्ली का वासी रोज,
जी कर भी मर रहा हैं।
वहां इतना है प्रदूषण कि,
वहां का बाशिंदा रोज
की तीस सिगरेट पी रहा है।
यूं धुवां – धुवां होते देख दिल्ली
बच्चों को बचाने को,
स्कूलों की कर दी गई छुट्टी,
लगाने को लगाम, इस धुंआ पर।
सरकारी कर्मचारी भी अब,
वहां घर से करेंगे काम।
दिल्ली के हालत पर,
अखबार ने किया कटाक्ष व्यंग।
– कवि शैलेंद्र जैन ( राजस्थान )