और हम हैं कि नाम कर रहे हैं।
गालिबन मैं किसी को भूल गया।
वरना यूं तो किसी की नहीं सुनी मैंने।
जाने वाले यहां के थे ही नहीं।
अपनी हालत तबाह की जाए।
जो भी ख़ुश है हम उससे जलते हैं।
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया।
ये मेरा तौर – ए – ज़िंदगी ही नहीं।
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे।
क्या सितम है कि हम लोग कर जाएंगे।