जौन एलिया की चुनिंदा शायरियां सीरीज -2nd

अपने सब यार काम कर रहे हैं,

और हम हैं कि नाम कर रहे हैं।

अब तो हर बात याद रहती है,

गालिबन मैं किसी को भूल गया।

इलाज़ ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं,

वरना यूं तो किसी की नहीं सुनी मैंने।

उस गली ने ये सुन के सब्र किया,

जाने वाले यहां के थे ही नहीं।

एक ही तो हवस रही है हमें,

अपनी हालत तबाह की जाए।

क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में,

जो भी ख़ुश है हम उससे जलते हैं।

कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई,

तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया।

काम की बात मैंने की ही नहीं,

ये मेरा तौर – ए – ज़िंदगी ही नहीं।

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,

जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे।

कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल – जू हूं मैं,

क्या सितम है कि हम लोग कर जाएंगे।

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