भ्रमण और ब्रह्माण्ड पुस्तक समीक्षा – पल्लवी

भ्रमण और ब्रह्मांड 

‘भ्रमण और ब्रह्मांड’ चर्चित लेखक अभय प्रताप सिंह जी की उपन्यास है। इस उपन्यास को पढ़ने से पूर्व भी इनकी एक किताब ‘ द माइंड, एक प्रेरणादायक संघर्ष’ पढ़ चुकी हूं। लेखक विद्यार्थियों के प्रति खूब साकांछ रहते हैं ‘द माइंड’ को पढ़ के ही ऐसी अनुभूति हुई थी विद्यार्थियों का संघर्ष खासकर प्रतियोगी परीक्षा के उम्मीदवार उनके साथ जो बीत रही होती है। जहाँ से वो कहीं कुछ बता नहीं सकते, बता नहीं पाते, आशाएं -निराशाएं और अकेलेपन से लड़ते हुए निजी संघर्ष!
यह उपन्यास कुल सैंतीस पड़ावों में लिखी गई है, एक सौ पचपन पेज में लिखी गई इस उपन्यास में प्रकाश, अभी, प्रिशा और हिती मुख्य किरदार में हैं। ‘भ्रमण और ब्रह्मांड’ के पहले पड़ाव से ही जैसे, हमारा समाज हमें साथ लेकर उपस्थित हो रहा हो।
सफलता और असफलता को जिस पैमाने में फिट कर दिया गया है दरअसल वो जीवन का संसाधन मात्र है, संसाधन एकत्रित करने की विधि जान गए तो सफल हो गए? संसाधन को सफलता का नाम देना दुखदाई है, प्रकाश जैसे हजारों परीक्षार्थी केवल इसलिए वो तमाम चीजें किए जा रहे जिस कारण लोगों द्वारा उन्हें सफलता का मेडल दे दिया जाएगा। जीवन जीने के लिए संसाधनों की आवश्यकता ‘आवयश्कता’ भर ही है! बशर्ते जो सम्मान हम एक सफल व्यक्ति को देते हैं वो यहां का अंतिम व्यक्ति भी डिजर्व करता है। सफलता असफलता एक ही सिक्के के दो पहलूं हैं, कुछ लोग सफल होंगे जाहिर तौर पर कुछ असफल भी होंगे। सफल लोगों के संघर्ष के निशान दिख जाते हैं पर जो असफल लोग बच जाते हैं वो कहां गए, कहां जाते हैं?
जिनसे बहुतों को कोई सरोकार नहीं होता वो पात्र, वो परीक्षाओं में असफल पात्र इनके लेखन में मुख्य किरदार निभाता है। ये लेखक की विशेषता है कि ये इतने सहजता पूर्ण कहते हैं कि परीक्षाओं में असफल होने का मतलब जीवन में असफल होना नहीं है और इन सब के साथ ही लेखक ने जिस तरहें बड़ी से बड़ी बातों को कविता के तौर पर समझाया है वो यकीनन बेहद सराहनीय है!🌼

भ्रमण और ब्रह्मांड’ के लिए आदरणीय लेखक ठाकुर अभय प्रताप सिंह जी को बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ! ❣️🌻

~पल्लवी

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