बेटियां हिंदी कविता – मुकेश कुमार सोनकर ( छत्तीसगढ़ )

बुढ़ापे का सहारा अगर बेटा है,

तो मां बाप का सम्मान है बेटियां।

 

बेटा भले पराया कर दे लेकिन,

मां बाप का ध्यान रखती हैं बेटियां।

 

आजकल की बेटियां भी बेटों से,

नहीं होती किसी मामले में कम।

 

जीवन में आने वाली हर मुश्किल,

से टकराने का रखती हैं वो दम।

 

गया वह जमाना जब इन्हें कमजोर,

अबला नारी कहा जाता था।

 

घर परिवार और जिम्मेदारी के बोझ,

तले इनके हुनर को दबाया जाता था।

 

चाहे अंतरिक्ष में चांद का सफर हो,

या युद्धभूमि में दुश्मनों से भिड़ जाने।

 

हर क्षेत्र में हर परिस्थिति में आज की,

की बेटियां चली हैं अपना परचम लहराने।

 

डॉक्टर साइंटिस्ट और शिक्षक बनकर,

वो ज्ञान –  विज्ञान फैलाती हैं।

 

दुनिया के हर एक दंगल में वो,

अपना दमखम दिखलाती हैं।

 

आज की बेटियां नहीं किसी से,

किसी भी मामले में कमतर।

 

देश विकास करने चली हैं ये,

सबके कदमों से कदम मिलाकर।

 

वह दिन भी अब दूर नहीं जब,

बेटियां घर की शान कहलाएंगी।

 

पूरी दुनिया में वो अपने,

मां – बाप और देश का झंडा फहराएंगी।।

– मुकेश कुमार सोनकर

 

 

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