दिल की सदा
बेतरतीब सी निगाहें बस तुम्हें ढूंढती हैं,
तुम नहीं तो कुछ नहीं बस, यही कहती हैं।
सुबहो शाम की सांसों मे भी बस तुम्ही हो,
बिन तुम्हारे साँसें भी नहीं, बस यही कहती हैं।
पल पल निहारा है दिल की आँखों से तुम्हे,
तुम भी उतर जाओ दिल मे, बस यही कहती हैं।
फ़ानी है जहाँ, हो जायेगा दफ़न इक रोज,
मिल जाओ रूह के साथ , बस यही कहती हैं।
तुमसे हि रोशन है अब दिल का जहाँ मेरा,
कर लो एहतराम इसे, बस यही कहती हैं।
मुहब्बतों के सिवा कुछ नहीं, अपनायियत में,
जाहिर मे दिल की सदा , बस यही कहती हैं।
– मोहन तिवारी, मुंबई