मंज़र – ए – इश्क़ से हम भी गुज़रे थे कभी,
पर, मेरे हिस्से में मोहब्बत थोड़ी कम थी।
जुदाई में मुस्कान दे दी सारी उसके हिस्से,
भले ही मेरा दिल रोया, आंखे भी नम थी।
– अभिषेक विक्रम सिंह
इसे भी पढ़ें …
https://www.lekhanshala.com/jarurat-jaruri-hai-hindi-kavita-by-tanya-dabral/