आज तुमने तोड़ दी है सारी कसमें,
आज तुमने हमको तन्हा कर दिया है।
बीतते दिन सिर्फ यादों के सहारे,
हम भला कैसे जिएंगे बिन तुम्हारे।
आँख से बन अश्क़ बह जायेंगे एक दिन,
आज तक देखे जो हमने ख़्वाब सारे।
ह्रदय में पीड़ा के उपवन को सजाकर,
खुशियों का गुलशन उठाकर चल दिया है।
आज तुमने तोड़ दी है सारी कसमें,
आज तुमने हमको तन्हा कर दिया है।
कर रहा था पास पर, क्यूँ दूर हो तुम,
क्या हुआ जो आज यूँ मजबूर हो तुम।
हमने समझा बस तुम्हे अपना हमेशा,
क्या है मेरा अपराध यूँ, मग़रूर हो तुम।
मैंने तुम पर किया सबकुछ समर्पित,
चाहतों का ये सिला तुमने दिया है।
आज तुमने तोड़ दी हैं सारी कसमें,
आज तुमने हमको तन्हा कर दिया है।
– अभिषेक सिंह ‘अंकुर’