लेखनशाला पर आज़ के 5 प्रेरणादायक विचार || today’s 5 best thaught on Lekhanshala

1- ” आज़ बिना घर वाले भी घर से भगाए जा रहे थे,

मैं महसूस कर रहा था कि, मैं बचपन से अमीर हूं। ”

 

2 – ” एक लेखक की गुमराही,

सौ लोगों को राह दिखाती है “।

 

3 –  ” किसी के बारे में गलत अनुमान न लगाएं क्योंकि आप नहीं जानते उसकी जिंदगी में उलझनें कितनी हैं। ”

 

4 – ” नौकरी थका रही है, उम्र भी घटा रही है,

अमीरी मुमकिन नहीं है, ये तनख्वाह बता रही है।”

 

5 – ” ऐ शुभेंद्र, इक गम है जो मैं कभी लिखता नहीं,

हां ये सच है, झूठ सच के सामने कभी टिकता नहीं। ”

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Mohit singh

Super